शुभ दिवाली

नमस्कार ,

दिवाली  के शुभ अवसर पर आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। माँ लक्ष्मी आप सभी पर कृपा करे और ईश्वर आपके सभी कार्य पूर्ण करे।

तो जनाब क्या कर रहे हैं इस दिवाली पर ख़ास ? ज़माना बदल गया है। अब तो दिवाली तभी ख़ास  बनती है जब आप अपनी जेब ढीली करें। घी और तेल की कीमतों को देखते हुए दीपों के  साथ दिवाली मनाना तो असंभव सा लगता है। इस त्योहारों के मौसम मे मुहँ  मीठा करना हो तो आप को बहुत दिलेर होना पड़ेगा। मिठाइयों की दुकान तो रसायनशाला में बदल चुकी है। जिस छेने के रसगुल्ले को आप मुह में डाल रहे हैं उसमे ना जाने कितने उभरते हुए बाल  वैज्ञानिकों के परिश्र्म का पसीना मिला होगा।

 परन्तु निराश होने की आवश्कता नहीं है क्यूंकि जब एक दरवाजा बंद होता है तो ईश्वर और कई दरवाजे खोल देता है। मैं अपने पड़ोसी मुल्क चीन को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने भारतीय त्याहोरो और पर्वो को अपने त्याहारो से ज्यादा महत्व दिया। ऐसा कोई भारतीय त्योहार नहीं जिसमे चीनी तड़का न लगा हो। फिर चाहे वो होली में रंग बिरंगे गुलाल या दिवाली में आम आदमी के घरो को रोशन करने वाली जगमगाती चीनी रौशनी।

खैर छोडिये जनाब, मैं तो यूँ ही बक-बक करता रहता हूँ। आप जाएँ और अपने परिवार और  दोस्तों  के साथ दिवाली   की खुशियाँ बांटे।

आप सभी को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनायें और चलते चलते …

 

                सृजन है अधूरा अगर विश्व भर में,

                कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,

                मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,

               कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यासी,

               चलेगा सदा नाश का खेल यों ही,

                भले ही दिवाली यहाँ रोज आए।

               जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना

               अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।

-गोपालदास नीरज

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