हिंदी दिवस

HINDI DIWAS

गणपति बाप्पा मोरया !

नमस्कार, गणपति बाप्पा के विसर्जन के बाद आप लम्बोदर को मिस कर रहे होंगे।इसीलिए हम अपनी तोंद उठा कर आपके सम्मुख प्रस्तुत है।खैर तो बात ये है की आज है हिंदी दिवस।आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ। हमे भी नहीं पता था की आज का दिन निर्धारित है हिंदी के लिए।हम तो ऐसे ही पड़े थे बिस्तर पे किसी भी आम दिन की तरह। वो तो जब हमने अपना होशियार दूरभाष यंत्र उठाया तो पता चला की ये मामला है। खबर यह थी की हिंदी दिवस के अवसर पर माननीय मंत्री जी ने कहा की विश्व में भारत की पहचान के रूप में एक भाषा की आवशकता है, और हिंदी वो भाषा बन सकती है। बस फिर क्या था, हंगामा हो गया। होना भी था, छुट्टी वाले दिन लोग भी क्या करे। हंगामा ही कर लेते है, इसी बहाने सब को अपना अपना राग आलापने मिल गया और हमे लिखने मिल गया। सब अपने अपने बौद्धिक जीव होने का प्रमाण देने में जुट गए।

बहुत साल पुरानी बात है, तब हम बच्चे हुआ करते थे और दूरदर्शन पे बहुत प्यारा सा कार्टून आता था। शायद आप को याद हो। सूरज एक, चंदा एक, तारे अनेक ….. इसी गाने में एक पंक्ति यह भी थी

“हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक है”

अब महाराज, यह बात तो उस समय बच्चो को भी समझ आ गयी थी की भाषा अनेक हैं परन्तु हम एक हैं। कोई वैसा ही कार्टून फिर से बना के इन विद्वानों को भी दिखा दो, शायद कुछ समझ आ जाये।

चलते चलते….

https://www.youtube.com/watch?v=a8DZUKQClvc

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