नीलकंठ समस्त संसार में, लुप्त होते प्यार, जीत में और हार में, ज्वार में, बहार में, मंदिरों मज़ार में, थोड़े या अपार में, कर्तव्यों के भार में, वो जो अधमरा चला, रुका – रुका बढ़ा चला, सूर्य से लड़ा चला, बोझ से मरा चला, चला चला सदा चला, वही तो एक वीर है, पीर है, फ़क़ीर है, …