नमस्कार, बहुत सालो बाद दिमाग में फिर वही फितूर सवार हुआ है. करीब ४ साल पहले मैंने यह ब्लॉग की शुरुआत की थी. एक पोस्ट लिखने के बाद मैंने इस ब्लॉग को अनाथ छोड़ दिया था. परन्तु आज फिर वही धुन सवार हुई है. उम्मीद है के इस मर्तबा यह साथ इतनी जल्दी नहीं …
हिमांशु
अब हम कोई सूर , तुलसी या कबीर तो हैं नहीं की हमारा जीवन परिचय आपने स्कूल में पढ़ा हो। इसीलिए यही पढ़ लीजिये। जन्म तिथि एवं जनम स्थान जान कर क्या कर लेंगे जनाब? जो होना था वो तो हो चुका फिलहाल तो आप इतना समझ लें की आप संसार के कुछ चुनिंदा भाग्यशाली लोगो में से हैं। क्यों ? अजी जनाब जहाँ पूरी दुनिया अंधी दौड़ में दौड़ी जा रही है, किसी के पास सांस लेने की फुरसत नहीं, वही आप यहाँ बैठे हमारी बकर पढ़ रहे है। इतनी फुरसत !! इसका अर्थ तो ये निकलता है की आप भी हमारी तरह ठन - ठन गोपाल हैं। शर्माइये नहीं जनाब, आ जाइये। आप के लिए ही है यह ब्लॉग।