नमस्कार, शीर्षक थोड़ा अटपटा है परन्तु कूल है। और यकीं मानिये जिस व्यक्ति के लिए लिखा है वो तो परम कूल हैं। आज हम आपके सामने अपने परम मित्र आदरणीय राहुल जी का वर्णन करेंगे। आज लगभग दस वर्ष होने जा रहे हैं हमे उनको जानते हुए और थोड़ा बहुत पहचानते हुए। दिमाग में उनका ख्याल …
नमस्कार, अब क्या बताऊँ आपको, दिल तो कई बार हुआ के कुछ लिख दूँ परंतु यह ज़ालिम सर्दी का मौसम और ऊपर से ये आलस। और अगर किसी तरह हिम्मत कर के अपनी गरम रजाई से बाहर निकल भी आता तो दिमाग में गरमा गरम मूंगफलियों के सिवा कुछ सूझता ही नहीं था। खैर अब तो …
नमस्कार, लो जी सरकार , एक बार फिर मुँह उठा के आ गया। अजी इस बार में अपनी बात नहीं कर रहा , बात हो रही है नए साल की। हर साल ये नया साल मुँह उठा के चला आता है। बड़ा बेशर्म सा है। हर साल आता है।अब इस नए साल में नया क्या …
नीलकंठ समस्त संसार में, लुप्त होते प्यार, जीत में और हार में, ज्वार में, बहार में, मंदिरों मज़ार में, थोड़े या अपार में, कर्तव्यों के भार में, वो जो अधमरा चला, रुका – रुका बढ़ा चला, सूर्य से लड़ा चला, बोझ से मरा चला, चला चला सदा चला, वही तो एक वीर है, पीर है, फ़क़ीर है, …
नमस्कार , लीजिए जनाब , एक बार फिर से पॉपुलर डिमांड पे आपका चहेता , प्यारा , दुलारा , आँखों का तारा पेश-ऐ-ख़िदमत है। चलिए माना के पॉपुलर डिमांड नहीं है अपनी। यह भी मान लिया के ना तो मैं आपका चहेता , ना दुलारा और ना आँखों का तारा हूँ। पर क्या करे साहब …
नमस्कार, जनता हूँ के आप अचम्भित होंगे इस पोस्ट को देख कर। कहेंगे के यह नालायक आज कहा से आ टपका। जरूर होली की मिठाइयों पे नज़र होगी , तभी लार टपकाता आ गया।वरना सालो बाद आज कहा से जनाब को टाइम मिल गया लिखने का। दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता है आपका …
नमस्कार , दिवाली के शुभ अवसर पर आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। माँ लक्ष्मी आप सभी पर कृपा करे और ईश्वर आपके सभी कार्य पूर्ण करे। तो जनाब क्या कर रहे हैं इस दिवाली पर ख़ास ? ज़माना बदल गया है। अब तो दिवाली तभी ख़ास बनती है जब आप अपनी जेब ढीली …
नमस्कार! एक बार फिर प्रस्तुत हूँ आपके सम्मुख कुछ नया ले कर. जैसा के आप शीर्षक से अंदाज़ा लगा चुके होंगे के आज कुछ बातें लाल बत्ती के बारे में करूँगा. आखिर आप के लिए क्या मायने हैं लाल बत्ती के?..आप को हैरत होगी यह जान कर के विभिन्न लोगों के लिए यह लाल …
नमस्कार कैसे हैं आप सब. आशा करता हूँ के अच्छे होंगे. आज बैठे बैठे यूँ ही ख्याल आया, कुछ है जो मैं भूल गया हूँ. दिमाग पर बहुत जोर डाला परन्तु याद न आया. उसी उधेड़बुन में अपने कमरे से निकल के बालकनी में आ गया. शाम हो चुकी थी और सूरज की किरणों की …
नमस्कार, मुझे दिल्ली में रहते हुए तीन साल से ऊपर हो गये. इन तीन सालों में जिस एक चीज़ की बहुत कमी महसूस हुई वो है खुद का घर. जनाब इस शहर में तो लोगों की उम्र निकल जाती है एक ढंग का कमरा ढूँढने में. कभी कभी तो खुद को एक खानाबदोश महसूस …